कन्यादान १९७१
जय बाबा बैधनाथ १९७३
भौजी माय (बांग्ला फिल्म "रामेर सुमति"क मैथिली डबिंग-रूपांतरण)
ममता गाबय गीत १९८२
इजोत १९९७
सस्ता जिनगी महग सेनुर १९९९
आऊ पिया हमर नगरी २०००
ममता २००१ ( निर्देशक गोपाल पाठक)
सेनुरक लाज २००४ (निर्देशक डॉ. विनीत यादव)
कखन हरब दुःख मोर २००५
दुलरुआ बाबु २००५
गरीबक बेटी २००६ (निर्देशक मनोज झा, मैथिलीक पहिल डिजिटल फिल्म)
खगड़िया वाली भौजी २००७ (अंगिका)
सुहागिन २००८
सिन्दुरदान २००८
काजर २००८
लक्ष्मी एलथिन हम्मर अंगना २००९ (वज्जिका)
पिया संग प्रीत कोना हम करबै २०१०
अंग-पुत्र (अंगिका) २०१०
मायक कर्ज २०१०
सेनुरिया (साउथक फिल्मक मैथिली रूपांतरण, आयुष्मान फिल्म्स मीडिया आ प्रोडक्शन हाउस- निर्माता मंजेश दुबे, सह-निर्माता बी.एन. चौधरी) २०१०
माई के ममता २०११
प्रित के बाजी २०११
सजना के अंगना में सोलह सिगार २०११
मुखिया जी २०११
पीरितिया ( लेखक-निर्देशक श्याम भास्कर, प्रस्तुति सुनील कुमार झा)
हम नहि जायब पिया के गाम (लेखक-निर्देशकडॉ. सुरेन्द्र झा, निर्मात्री कल्पना झा, सह-निर्माता- शुभ नारायण झा)
कर्मभाग्य, २०१२ निर्माता सुजीत मल्टीमीडिया प्र. लि.,इन्दल यादव, गीत वीरेन्द्र कबीरपंथी, तुलसी मं, कमाल मंडल (जयश्री कैसेट्स)
सभ दिन सासुक एक दिन पुतौहुक, २०१२, निर्देशक दीपकजी, जयश्री कैसेट्स
पिया संग प्रीत कोना हम करबै, २०१२, निर्देशक सूरज तिवारी, जयश्री कैसेट्स
एकता आ बसन्त (वास्तव मे ई १६ बर्ख पुरान श्री रामभरोस कापड़ि भ्रमरक "एकटा आओर वसन्त"सीरियल, मिथिलांचल फिल्म्स, निर्मात्री सरस्वती चौधरी- जे अखन नेपालमे सांसद छथि, केर चोरि कएल फिल्म्स सी.डी. छी, नाम बदलि कऽ आ निर्माता गोपाल पाठक कऽ कऽ नीलम कैसेट्सकेँ श्री गोपाल पाठक बेचि देलनि। )
अहाँ छी हमरा लेल (निर्देशक गोपाल पाठक)
सजना ऐहन डोली ले के (वज्जिका)
हमर सौतिन (शीघ्र प्रदर्शन हएत)
मिथिलाक चारू धाम (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
साजन अहाँ बिना की (शीघ्र प्रदर्शन हएत)
हमर अप्पन गाम अप्पन लोक (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
माइक कर्ज (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
खुरलुच्ची (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
अल्ला ईश्वर तोरे नाम (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
सौतिन (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
पिया भेल परदेशी (शीघ्र प्रदर्शन हएत)
प्रीत के फूल (शीघ्र प्रदर्शन हएत)
अंधेर नगरी चौपट राजा (निर्माणाधीन)
फूटल ढोल (निर्माणाधीन)
एकटा अन्हरीया(निर्माणाधीन)
मीता (निर्माणाधीन)
हमर गाम (निर्माणाधीन)
गामक लाज(निर्माणाधीन)
मधुश्रावणी(निर्माणाधीन)
ललका पाग(निर्माणाधीन)
अमावस के चान(निर्माणाधीन)
हमरा लग रहब (निर्माणाधीन)
नाच-गान(निर्माणाधीन)
एक चुटकी सिन्दूर(निर्माणाधीन)
बिजुलिया भौजी (निर्देशक मनोज झा, निर्माणाधीन)
आइ लव जनकपुर (मेमोरी मिथिला फिल्मस प्रा.लि., कथा-निर्देशन- निराजन मेहता (मञ्जित), निर्माता- प्रदिप राज- कमल मण्डल, निर्माणाधीन)
मैथिली लघु फिल्म (डॉक्यूमेन्ट्री)/ टेली फिल्म/ वीडियो फिल्म
मिथिलाक व्यथा १९९१ ( पहिल मैथिली टेली फिल्म,नेपाल टेलिभिजनसँ प्रसारण, डा.राजेन्द्र विमलक लेखन आ लय संग्रौलाक निर्देशन,धीरेन्द्र प्रेमर्षिक अभिनय )
अबकी बेरिया रे गोपीचन (टेली फिल्म, निर्देशक प्रदीप बिहारी, केंद्रीय भूमिकामे रवीन्द्र बिहारी राजू, प्रदीप बिहारी)
दहेज १९९२ (पहिल मैथिली वीडियो फिल्म,गीतः बृषेश चन्द्र लाल, संगीत निखिल-राजेन्द्र, गायकः सुनिल मल्लिक)
bhaagirath
चुसना-फेकना आ पोंगा पंडित २००१ (वीडियो फिल्म, निर्माता सुनील कुमार झा, बैनर जानकी फिल्म्स, निर्देशक श्याम भास्कर)
सपना भेल सोहाग २००१ (वीडियो फिल्म, निर्देशक राजीव गौतम)
अहाँ छी हमरा लेल २००६ (वीडियो फिल्म, निर्देशक गोपाल पाठक)
रक्ततिलक २००८ (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
अतीतक स्वर (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
मल्लाह (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
सौराठ सभा (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
कारागार (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
बिहान (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
कमला (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री, निर्देशक अमितेश शाह)
भागिरथ ((लेखन सुदर्शन लाल कर्ण , टेलीफिल्म )
मैथिली फिल्मक विकास यात्रा- अजित कुमार आजाद
मिथिलाक मानचित्र पर एखन लगभग एक सय दस टा सिनेमा हॉल अछि। एहिमे ओहि बाँसवला सिनेमा हॉलक गनती नहि अछि जे हाल-फिलहालमे मिथिलाक विभिन्न गाम आ हाट-बजार आदिमे बनल अछि किन्तु आश्चर्य! एखन कोनो सिनेमाघरमे मैथिली फिल्म नहि चलि रहल अछि। पछिला वर्ष अर्थात नवम्बर २००८मे मात्रा किछु दिनक लेल जयनगरक एकटा सिनेमा हॉलमे मनोज झा निर्देशित ‘सुहागिन’ जेना-तेना चलि सकल, सेहो प्रायः एही कारणे जे एहि फिल्मक निर्देशक जयनगरक बसिन्दा छथि। पाया पारक मिथिला अर्थात नेपालक मैथिली भाषी क्षेत्रामे सेहो सिनेमाघरक कमी नहि अछि किन्तु ओतहु हिन्दी अथवा नेपाली फिल्म छोड़ि कोनो मैथिली फिल्म नहि लागल अछि। तात्पर्य ई जे भारत आ नेपाल स्थित दुनू पारक मिथिलाक लगभग २०० सिनेमाघरमे पछिला वर्ष मात्रा एकटा फिल्म लागल आ जे सप्ताहो नहि पूरल कि उतरि गेल। एहि वर्ष एखनधरि एकहुटा फिल्म रिलीज नहि भेल अछि।
मैथिली फिल्म उद्योग कतेक पानिमे अछि, ई उपरोक्त तथ्यसँ नीक जकाँ स्पष्ट भ’ जाइत अछि। एहि जरल पर नोन तखन आर छिंटा जाइत अछि जखन हमरा लोकनि ई जनैत छी जे मिथिलाक उक्त सिनेमाघर सभमे भोजपुरी फिल्म चारि-चारि सप्ताह धरि चारू शो हाउसफुल जाइत अछि। शंकर टॉकिज, मध्ुबनीमे ‘निरहुआ रिक्शावाला’ सिल्वर जुबली मनेबाक स्थितिमे छल। मनोज तिवारीक ‘ससुरा बड़ा पैसावाला’ सेहो मिथिलाक विभिन्न भागमे खूबे चलल। तात्पर्य ई जे रानी चटर्जी, रिंकू घोष, रवि किशन, दिनेशलाल यादव निरहुआ, मनोज तिवारी आदि कलाकार भोजपुरी भाषी क्षेत्राक तुलनामे मिथिलामे बेसी लोकप्रिय छथि त’ एकर मूल कारण यैह अछि जे हमरा लोकनिक सिनेमाघर हुनका सभक फिल्म लेल सदिखन अजबारल छनि। से किएक? एकर की कारण? मैथिली भाषा एवं संस्कृतिक प्रति हमरा लोकनिक निष्ठा कहीं अलोपित त’ नहि भ’ रहल अछि? आ कि एकर किछु आन कारण अछि?
वर्ष १९३२ ई.मे भारतक पहिल सवाक् फिल्म ‘आलम आरा’क निर्माणक ३२ वर्ष बाद शुरू भेल मैथिली फिल्मक इतिहास यद्यपि पैंतालीस वर्ष पुरान अछि किन्तु संकोचक संग ई मानहि पड़त जे मैथिली फिल्म उद्योग एखनहुँ धरि शैशवेवस्थामे अछि। ममता गाबय गीत, कन्यादान, भौजी माय आ जय बाबा बैजनाथ सन चारि गोट कसल कथा-पटकथा आ गीत-संगीत वला फिल्मसँ ‘स्टार्ट’ लेबय वला मैथिली फिल्म उद्योग आइधरि जँ अपन पैर पर ठाढ़ नहि भ’ सकल अछि त’ एकर अनेक कारण भ’ सकैछ। एहि आलेखमे हम पाठक लोकनिकेँ मैथिलीमे अद्यावधि बनल फिल्म सभक मादे संक्षेपमे जनतब देबय चाहबनि।
वर्ष १९६४ ई.मे महंथ मदन मोहन दास, उदयभानु सिंह आ केदारनाथ चौधरीक संयुक्त प्रयाससँ मैथिली फिल्मक लेल पहिल बेर ‘लाइट, कैमरा, एक्शन’ शब्द गुँजल छल। ‘नैहर भेल मोर सासुर’ नामसँ शुरू भेल मैथिलीक एहि पहिल फिल्मक नाम बादमे कमल नाथ सिंह ठाकुरक कहला पर ‘ममता गाबय गीत’ राखल गेल। एहि फिल्मक प्रोड्यूसरमेसँ एक उपन्यासकार केदारनाथ चौधरीक अनुसार ‘‘हम १९ सितम्बर, १९६३ ई. केँ कुल सैंतीस हजार टाका ल’ क’ मुम्बइ गेल रही। भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़ैबो’, जे कि बिहारक पहिल फिल्म सेहो प्रमाणित भेल, क निर्माण आ मैथिली फिल्म ‘ममता गाबय गीत’क निर्माण मुम्बइमे लगभग एकहि संग शुरू भेल मुदा रिलीज भेल पहिने ‘गंगा मैया...’। मैथिलियोमे ममता गाबय गीतसँ पहिने ‘कन्यादान’ रिलीज भेल।’’
‘ममता गाबय गीत’ फिल्मक किछु शूटिंग भेले छल कि कतिपय कारणसँ आगाँक काज ठमकि गेल। लगभग चौदह वर्ष धरि फिल्म निर्माण सम्बन्ध्ी सभटा काज ठमकल रहल। दोसर चरणमे काज जहिया शुरू भेल, निज ताहि दिन हिन्दी फिल्मक प्रख्यात् अभिनेत्राी नर्गिस दत्तक देहान्त भ’ गेलनि। एहि कारणसँ श्रद्धांजलि स्वरूप ओहि दिनक शूटिंग स्थगित क’ देल गेल छल। एहि बेर फिल्म निर्माणक बीड़ा उठौने रहथि प्रसिद्ध गीतकार-गायक जोड़ी रवीन्द्र-महेन्द्र आ तत्कालीन आयकर आयुक्त सीताराम झा। सीताराम झा ने सिर्फ एहि फिल्मक लेल आर्थिक मदद केलखिन बल्कि हिन्दी फिल्मक प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक जी.पी. सिप्पीसँ निर्माण सम्बन्ध्ी सहयोग दियेबामे सेहो महत्वपूर्ण भूूमिकाक निर्वाह कएलखिन। हिनका लोकनिक समवेत प्रयाससँ वर्ष १९८१मे ई फिल्म रिलीज भेल। दरभंगाक सोसाइटी सिनेमा हॉलमे ई फिल्म लगभग डेढ़ महीना चलल जखन कि प्रभात टॉकिज, कोलकतामे तीन महीना धरि हाउसफुल रहल। रवीन्द्रनाथ ठाकुरक गीत आ श्याम शर्माक संगीतसँ सजल एहि फिल्मक सभटा गीत खूबे लोकप्रिय भेल। सी. परमानन्द निर्देशित एहि फिल्मक कैमरामैन रहथि सी. प्रसाद, कला निर्देशक रहथि ललित कुमुद आ शूटिंग प्रभारी रहथि विवेकानन्द झा। एहि फिल्मक आउटडोर शूटिंग मुम्बइक मुलुन्ड आ कांदिवलीमे तथा इनडोर शूटिंग प्रसिद्ध अभिनेता राजेन्द्र कुमारक डिम्पल स्टूडियो आ सुनील दत्तक अजन्ता स्टूडियोमे भेल छल। एहि फिल्मक डबिंगमे प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’, सारिका एवं वैदेही ; दुनू रवीन्दनाथ ठाकुरक पुत्राी;क स्वर स्त्राी-पात्राक लेल कएल गेल छल। कलाकार लोकनिमे त्रिदीप कुमार, अजरा, प्यारे मोहन सहाय, प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’, राजेन्द्र झा, शरत चन्द्र मिश्र, आस नारायण मिश्र, प्रभा मिश्र, ललितेश, प्रेम कुमार मिश्र आदिक अभिनय प्रशंसित त’ खूबे भेल मुदा हिनका लोकनिक अभिनय अध्सिंख्य मैथिल नहि देखि सकलाह। एकर एकमात्रा कारण छल प्रिन्टक अभाव। फिल्मक केवल एकटा प्रिन्ट उपलब्ध् छल जे बेराबेरी एक ठामसँ दोसर ठाम उपलब्ध् कराओल जाइत छल। हाँ, गीतक कैसेट अवश्य लोकसभ लग आसानीसँ पहुँचि गेल छल। मुहुर्त्तसँ रिलीज धरि एहि फिल्मके ँ लगभग १४ वर्ष लागि गेलैक। एही अवधिमे फणी मजुमदार निर्देशित ‘कन्यादान’ ममता गाबय गीतसँ पहिने परदा पर उतरबामे बाजी मारि लेलक आ मैथिलीक पहिल प्रदर्शित फिल्मक तगमा पाबि गेल।
प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’क अनुसार सभ कलाकार एक दिन निर्देशक सी. परमानन्दक आवास पर रूकलाह तथा दोसर दिनसँ हिनका लोकनिकेँ एकटा धर्मशालामे ठहराओल गेल। एहि फिल्मक मादे एकटा विशेष बात ई जे शूटिंगक दौरान कलाकार लोकनि आपसमे मैथिलीमे गप करैत छलाह। एतेक धरि जे निर्देशक सेहो मैथिलीमे निर्देश देब’ लागल छलाह। आइ-काल्हि बनयबला मैथिली फिल्म सभक क्रममे शूटिंग स्थल आदि पर मैथिली बजबामे कलाकार लोकिनकेँ संकोच होइत रहैत छनि। ई बात हमरा लोकनि मैथिली नाटकक रिहर्सल आदिक क्रममे सेहो देखि सकैत छी।
हरिमोहन झाक प्रसिद्ध उपन्यास ‘कन्यादान’ पर आधरित कन्यादान फिल्मक पटकथा-संवाद प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ लिखलनि। कलाकार लोकनिमे रहथि तरुण बोस ;रेवती रमण, लता बोस ;बुच्ची दाइ, चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ ;लाल कका, ब्रज किशोर ;झारखंडी नाथ, गीता मुखर्जी आदि। फिल्मक निर्माता रहथि गया निवासी मुंशी प्रसाद। चर्चित कवि गोपालजी झा ‘गोपेश’क सेहो एहि फिल्मक निर्माणमे महत्वपूर्ण योगदान छलनि। तेसर फिल्म ‘भौजी माय’ मूलतः शरतचन्द्र चट्टोपाध्यायक प्रसिद्ध बांग्ला कथा ‘रामेर सुमति’ पर आधरित एही नामसँ बनल बांग्ला फिल्मक डबिंग छल। एकर भाषान्तरण प्रसिद्ध कवि-कथाकार सोमदेव कयने रहथि। निर्देशक रहथि शान्तिलाल सोनी। उपरोक्त तीनू फिल्ममे मैथिलीक साहित्यकार लोकनिक सहयोग स्पष्ट देखाइत अछि किन्तु आम जनताक सहयोग सेहो कम नहि रहल। चारिम फिल्म ‘जय बाबा बैजनाथ’ तक अबैत-अबैत मिथिलामे मैथिली फिल्मक लेल अपेक्षित वातावरणक निर्मिति भ’ गेल छल किन्तु अफसोस जे हमरा लेाकनि एहि वातावरणकेँ दीर्घकाल धरि बनाक’ नहि राखि सकलहुँ। जँ से रहैत त’ एकर बाद बनल ‘मध्ुश्रावणी’, ‘ललका पाग’, ‘अमावस के चान’, ‘हमरा लग रहब’, ‘नाच-गान’ सहित दर्जन भरिसँ बेसी फिल्म आइयो धरि डिब्बामे बन्द नहि रहितय।
उपरोक्त फिल्मक ई नियति किएक भेल से प्रायः सभ फिल्मक अलग-अलग खेड़हा अछि मुदा मुख्य बात मैथिलक आम बेमारी ‘गोलैसी’ अछि जकर शिकार मिथिलाक प्रायः अन्य सभ विध सेहो होइत रहल अछि। मैथिलीमे ने त’ कथा-पटकथाक अभाव अछि आ ने-गीतकार-संगीतकारक। मिथिलाक एकटा गायक उदितनारयण झा एखन देशक सर्वश्रेष्ठ गायक बनल छथि त’ निर्देशकक रूपमे प्रकाश झा, संजय झा, मनीष झाक लोहा सकल संसार मानि रहल अछि। ई बात त’ अन्यो भाषा-भाषी गछैत छथि जे कलाकारक मामिलामे मिथिलासँ बेसी सम्पन्न क्षेत्र आन नहि अछि। लोकेशनक मामिलामे सेहो मिथिला अन्य कोनो भूखंडसँ दरिद्र नहि अछि। प्राकृतिक सुषमाक मामिला हो अथवा बाढ़ि-सुखाड़क दृश्य, मिथिलामे बारहोमास उपलब्ध् भेटत। हाँ, अबरजातक लेल रस्ता-बाट पर अवश्य प्रश्न उठाओल जा सकैत अछि।
अभिप्रायः ई जे हमरा लोकनि मैथिली फिल्म उद्योगकेँ अद्यावध् िस्थापित क’ सकैत रही किन्तु अपन अहंमन्यता आ टंगघिच्चा-घिच्चीमे बिचहिमे लसकि गेल छी।
यद्यपि उपरोक्त सभ स्थिति-परिस्थितिक अछैत वर्ष १९९९ अनेक तरहेँ मीलक पाथर साबित भेल। बीसम शताब्दी जाइत-जाइत व्यवसायिक रूपसँ एकटा एहन सफलतम मैथिली फिल्म द’ गेल जे सभटा मिथ्या धरणा-अवधरणाकेँ स्वाहा करैत लैम्प-पोस्ट बनि गेल। मुरलीधर निर्देशित बालकृष्ण झाक मामूली बजटक फिल्म ‘सस्ता जिनगी महग सेनूर’ लोकप्रियताक सभ रिकॉर्ड ध्वस्त क’ देलक। ललितेश, रीना, रूबी अरुण अभिनीत ई फिल्म चारि करोड़सँ बेसी रुपया कमौलक। यद्यपि एहि सफलताकेँ सेहो हमरा लोकनि आगाँ भजा नहि सकलहुँ तथापि २००० ई.मे प्रदर्शित फिल्म ‘आउ पिया हमर नगरी’ घाटामे नहि रहल। कहल जाइत अछि जे एकर निर्देशक रहथि मुरलीधर मुदा बादमे एकर निर्माता मणिकान्त मिश्र निर्देशकक रूपमे अपन नाम जोड़ि लेलनि। उक्त दुनू फिल्मक शूटिंग मिथिलेमे भेल छल आ परदा पर भव्यतामे कोनहु कोनसँ कम नहि बुझना गेल।
२००१मे दू टा वीडियो फिल्म बनल आ व्यवसायिक दृष्टिकोणसँ दुनू असफल रहल। गोपाल पाठक निर्देशित ‘ममता’ जतय रमेश रंजन, प्रवेश मल्लिक, संजीव आदिक अभिनयक बलेँ कहुना एक सप्ताह धरि चलि सकल ओतहि राजीव गौतम निर्देशित ‘सपना भेल सोहाग’ एतबो दिन नहि खेप सकल। वीडियो फिल्म निर्माण यद्यपि अन्य माध्यमक अपेक्षा सस्ता छैक किन्तु मिथिलामे वीडियो हॉलक अनुपलब्ध्ता आ एहि तरहक फिल्मक लेल अपेक्षित मानसक अभाव छैक। उक्त दुनू वीडियो फिल्मक असफलताक एकटा कारण एकर कमजोर फिल्मांकन आ प्रचार-प्रसारमे अभाव सेहो छल।
वर्ष २००४मे निर्माता बालकृष्ण झा अपन दोसर फिल्म ‘सेनूरक लाज’ ल’ क’ अपन पहिल फिल्म ‘सस्ता जिनगी महग सेनूर’क सफलताकेँ दोहराब’ चाहलनि किन्तु ई राजकमल चौधरीक चर्चित कथा ‘ललका पाग’क पैरोडी संस्करण प्रमाणित भ’ क’ रहि गेल। निर्देशक विनीत यादव एहि फिल्मकेँ कोनो कोनसँ नहि सम्हारि सकलाह। समुचित प्रकाशक अभावसँ फिल्म बहुत साफ नहि देखाइत अछि। महिला दर्शककेँ रिझेबामे यद्यपि ई फिल्म सफल रहल किन्तु अपन घाटाकेँ नहि पाटि सकल।
२००५मे आयल ‘कखन हरब दुख मोर’क प्रचार-प्रसारमे कमी नहि कएल गेल किन्तु सिनेमा घरक टिकट खिड़की पर भीड़ नहि जुटि सकल। निर्माता संजय राय आ निर्देशक संतोष बादलकेँ बादमे टी. सीरीजक सहयोगसँ बजारमे एहि फिल्मक सीडी उतार’ पड़लनि जकर रिकार्ड-तोड़ बिक्री भेल। एही वर्ष निर्देशक अभिजीत सिंहक ‘दुलरूआ बाबू’ सेहो प्रदर्शित भेल किन्तु कमजोर पटकथाक कारणे असफल भ’ गेल।
वर्ष २००६मे फेर दू टा वीडियो फिल्म बनल आ दुनू मुहें भरे खसल। मनोज झा निर्देशित ‘गरीबक बेटी’ (गरीबक बेटी वीडियो फिल्म नै वरन पहिल मैथिली डिजिटल फिल्म थिक, ई बादक सूचना ऐ आलेखमे हमरा द्वारा जोड़ल गेल) आ गोपाल पाठक निर्देशित ‘अहाँ छी हमरा लेल’ सफलताक कोनो नव अध्याय नहि लिखि सकल। कहि सकैत छी जे असफलता आइधरि मैथिली फिल्मक सफलताकेँ गछारने अछि। हाँ, ‘गरीबक बेटी’मे अनिल मिश्राक अभिनय प्रभावकारी छल।
२००७मे सुहागिनक निर्माण आरम्भ भेल जकरा मादे हम पहिनहि कहि चुकल छी जे ई फिल्म एक सालक निर्माण-यात्राक बाद नवम्बर २००८मे सिनेमाहॉलसँ किछुए दिनमे उतरि गेल।
वर्ष २००८मे निर्माणाध्ीन फिल्मक श्रेणीमे चारि टा फिल्म छल जाहिमे एक चुटकी सिन्दूर, काजर, किसलय कृष्णक निर्देशनमे (बादमे हिनका हटा कऽ मनोज झाकेँ निर्देशक बनाओल गेल, ई बादक सूचना ऐ आलेखमे हमरा द्वारा जोड़ल गेल) बनय जा रहल ‘हम्मर अप्पन गाम अप्पन लोक’ आ सूरज तिवारी निर्देशित ‘पिया संग प्रीत कोना हम करबै’ शामिल अछि। जनतबक अनुसार, अजित कुमार आजादक पटकथा पर बनय जा रहल ‘हमर अप्पन गाम अप्पन लोक’ वर्ष २००९मे इन्द्रपूजाक अवसर पर रिलीज कएल जायत जखन कि प्रोड्यूसर जितेन्द्र झाक ‘पिया संग प्रीत कोना हम करबै’ दुर्गापूजामे। एखन धरि त’ कोनो एक वर्षमे चारिटा मैथिली फिल्म एक संगे नहिये रिलीज भेल अछि। ओना, पहिनेक तुलनामे स्थिति बदललैक अछि। देखा-चाही जे एहि बदलल स्थितिक लाभ फिल्म निर्माणसँ जुड़ल लोकसभ कोन तरहेँ उठा पबैत छथि। मिथिलाक दर्शक आब मैथिलीमे नीक फिल्म देखय चाहैत छथि तकर अनुमान कैसेट-सीडीक बिक्रीसँ त’ लगाओले जा सकैत अछि।
(अजित आजादक लेख- मिथिला दर्शन, कोलकातासँ साभार)
जय बाबा बैधनाथ १९७३
भौजी माय (बांग्ला फिल्म "रामेर सुमति"क मैथिली डबिंग-रूपांतरण)
ममता गाबय गीत १९८२
इजोत १९९७
सस्ता जिनगी महग सेनुर १९९९
आऊ पिया हमर नगरी २०००
ममता २००१ ( निर्देशक गोपाल पाठक)
सेनुरक लाज २००४ (निर्देशक डॉ. विनीत यादव)
कखन हरब दुःख मोर २००५
दुलरुआ बाबु २००५
गरीबक बेटी २००६ (निर्देशक मनोज झा, मैथिलीक पहिल डिजिटल फिल्म)
खगड़िया वाली भौजी २००७ (अंगिका)
सुहागिन २००८
सिन्दुरदान २००८
काजर २००८
लक्ष्मी एलथिन हम्मर अंगना २००९ (वज्जिका)
पिया संग प्रीत कोना हम करबै २०१०
अंग-पुत्र (अंगिका) २०१०
मायक कर्ज २०१०
सेनुरिया (साउथक फिल्मक मैथिली रूपांतरण, आयुष्मान फिल्म्स मीडिया आ प्रोडक्शन हाउस- निर्माता मंजेश दुबे, सह-निर्माता बी.एन. चौधरी) २०१०
माई के ममता २०११
प्रित के बाजी २०११
सजना के अंगना में सोलह सिगार २०११
मुखिया जी २०११
पीरितिया ( लेखक-निर्देशक श्याम भास्कर, प्रस्तुति सुनील कुमार झा)
हम नहि जायब पिया के गाम (लेखक-निर्देशकडॉ. सुरेन्द्र झा, निर्मात्री कल्पना झा, सह-निर्माता- शुभ नारायण झा)
कर्मभाग्य, २०१२ निर्माता सुजीत मल्टीमीडिया प्र. लि.,इन्दल यादव, गीत वीरेन्द्र कबीरपंथी, तुलसी मं, कमाल मंडल (जयश्री कैसेट्स)
सभ दिन सासुक एक दिन पुतौहुक, २०१२, निर्देशक दीपकजी, जयश्री कैसेट्स
पिया संग प्रीत कोना हम करबै, २०१२, निर्देशक सूरज तिवारी, जयश्री कैसेट्स
एकता आ बसन्त (वास्तव मे ई १६ बर्ख पुरान श्री रामभरोस कापड़ि भ्रमरक "एकटा आओर वसन्त"सीरियल, मिथिलांचल फिल्म्स, निर्मात्री सरस्वती चौधरी- जे अखन नेपालमे सांसद छथि, केर चोरि कएल फिल्म्स सी.डी. छी, नाम बदलि कऽ आ निर्माता गोपाल पाठक कऽ कऽ नीलम कैसेट्सकेँ श्री गोपाल पाठक बेचि देलनि। )
अहाँ छी हमरा लेल (निर्देशक गोपाल पाठक)
सजना ऐहन डोली ले के (वज्जिका)
सुरजापुरी फिल्म
१. "काय आपन काय पर " (पहिल सुरजापूरी फ़िल्म), निर्माता ताराचंद धानुका , अध्यक्ष सुर्यापुरी विकास मंच, किसनगंज
२.तोर पायल मोर गीत
३.मोर माँ
४.नागिनेर वचन
हमर सौतिन (शीघ्र प्रदर्शन हएत)
मिथिलाक चारू धाम (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
साजन अहाँ बिना की (शीघ्र प्रदर्शन हएत)
हमर अप्पन गाम अप्पन लोक (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
माइक कर्ज (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
खुरलुच्ची (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
अल्ला ईश्वर तोरे नाम (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
सौतिन (निर्देशक मनोज झा, शीघ्र प्रदर्शन हएत)
पिया भेल परदेशी (शीघ्र प्रदर्शन हएत)
प्रीत के फूल (शीघ्र प्रदर्शन हएत)
अंधेर नगरी चौपट राजा (निर्माणाधीन)
फूटल ढोल (निर्माणाधीन)
एकटा अन्हरीया(निर्माणाधीन)
मीता (निर्माणाधीन)
हमर गाम (निर्माणाधीन)
गामक लाज(निर्माणाधीन)
मधुश्रावणी(निर्माणाधीन)
ललका पाग(निर्माणाधीन)
अमावस के चान(निर्माणाधीन)
हमरा लग रहब (निर्माणाधीन)
नाच-गान(निर्माणाधीन)
एक चुटकी सिन्दूर(निर्माणाधीन)
बिजुलिया भौजी (निर्देशक मनोज झा, निर्माणाधीन)
आइ लव जनकपुर (मेमोरी मिथिला फिल्मस प्रा.लि., कथा-निर्देशन- निराजन मेहता (मञ्जित), निर्माता- प्रदिप राज- कमल मण्डल, निर्माणाधीन)
मैथिली लघु फिल्म (डॉक्यूमेन्ट्री)/ टेली फिल्म/ वीडियो फिल्म
मिथिलाक व्यथा १९९१ ( पहिल मैथिली टेली फिल्म,नेपाल टेलिभिजनसँ प्रसारण, डा.राजेन्द्र विमलक लेखन आ लय संग्रौलाक निर्देशन,धीरेन्द्र प्रेमर्षिक अभिनय )
अबकी बेरिया रे गोपीचन (टेली फिल्म, निर्देशक प्रदीप बिहारी, केंद्रीय भूमिकामे रवीन्द्र बिहारी राजू, प्रदीप बिहारी)
दहेज १९९२ (पहिल मैथिली वीडियो फिल्म,गीतः बृषेश चन्द्र लाल, संगीत निखिल-राजेन्द्र, गायकः सुनिल मल्लिक)
bhaagirath
चुसना-फेकना आ पोंगा पंडित २००१ (वीडियो फिल्म, निर्माता सुनील कुमार झा, बैनर जानकी फिल्म्स, निर्देशक श्याम भास्कर)
सपना भेल सोहाग २००१ (वीडियो फिल्म, निर्देशक राजीव गौतम)
अहाँ छी हमरा लेल २००६ (वीडियो फिल्म, निर्देशक गोपाल पाठक)
रक्ततिलक २००८ (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
अतीतक स्वर (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
मल्लाह (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
सौराठ सभा (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
कारागार (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
बिहान (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री)
कमला (मैथिली लघु-फिल्म/ डॉक्यूमेन्ट्री, निर्देशक अमितेश शाह)
भागिरथ ((लेखन सुदर्शन लाल कर्ण , टेलीफिल्म )
एकटा आओर वसंत (टेलीफिल्म, लेखन रामभरोस कापड़ी भ्रमर, ऐ मे बलात्कार सीनक फिल्मांकनक चलते सेंसर बोर्डक प्रश्न सेहो आएल , विधवा विवाह आदि सामाजिक समस्या पर विचार)
प्रत्यावर्तन (लेखक उदयनारायण सिंह नचिकेता, टेलीफिल्म/ सीरियल )
कनिया (टेलीफिल्म,निर्देशक अविनाश श्रेष्ठ)
महाकवि विद्यापति (लेखक- रेवती रमण लाल, निर्देशक अरुण कुमार झा , टेलीफिल्म)
चमेली (टेलीफिल्म)
दुमहला (टेलीफिल्म)
हंसा चलल परदेश (लेखक- राजेन्द्र विमल, निर्देशक प्रकाश सायमी , टेलीफिल्म)
ईजोत (लेखक- निर्देशक अमितेश शाह, लघु चलचित्र)
ठहक्का (लेखक- निर्देशक अमितेश शाह, टेलीफिल्म)
राजा सलहेस (निर्देशक-रमेश रंजन , वृत्तचित्र )
सौराठ सभा (निर्देशक-रमेश रंजन , वृत्तचित्र )
सक्षम महिला असल नेता (निर्देशक-दीपेन्द्र गौचन , वृत्तचित्र )
गिद्ध (निर्देशक-अशु गिरी , वृत्तचित्र )
महायात्रा (निर्देशक- अमितेश शाह , वृत्तचित्र )
शुभारम्भ (निर्देशक-अशु गिरी , वृत्तचित्र )
लबकी कनिया २००८ (पहिल महिला निर्देशक-रेणु चौधरी , वृत्तचित्र )
चौखट (निर्देशक-दीपक रौनियार , वृत्तचित्र )
मिथिला (निर्देशक सुनील पोखरेल, टेलीफिल्म)
सेनैना (निर्देशक सुनील पोखरेल, टेलीफिल्म)
चंगूमंगू (निर्देशक सुनील पोखरेल, टेलीफिल्म)
कालाजार (निर्माता माह संचार, टेलीफिल्म)
मैथिली फिल्मक विकास यात्रा- अजित कुमार आजाद
मिथिलाक मानचित्र पर एखन लगभग एक सय दस टा सिनेमा हॉल अछि। एहिमे ओहि बाँसवला सिनेमा हॉलक गनती नहि अछि जे हाल-फिलहालमे मिथिलाक विभिन्न गाम आ हाट-बजार आदिमे बनल अछि किन्तु आश्चर्य! एखन कोनो सिनेमाघरमे मैथिली फिल्म नहि चलि रहल अछि। पछिला वर्ष अर्थात नवम्बर २००८मे मात्रा किछु दिनक लेल जयनगरक एकटा सिनेमा हॉलमे मनोज झा निर्देशित ‘सुहागिन’ जेना-तेना चलि सकल, सेहो प्रायः एही कारणे जे एहि फिल्मक निर्देशक जयनगरक बसिन्दा छथि। पाया पारक मिथिला अर्थात नेपालक मैथिली भाषी क्षेत्रामे सेहो सिनेमाघरक कमी नहि अछि किन्तु ओतहु हिन्दी अथवा नेपाली फिल्म छोड़ि कोनो मैथिली फिल्म नहि लागल अछि। तात्पर्य ई जे भारत आ नेपाल स्थित दुनू पारक मिथिलाक लगभग २०० सिनेमाघरमे पछिला वर्ष मात्रा एकटा फिल्म लागल आ जे सप्ताहो नहि पूरल कि उतरि गेल। एहि वर्ष एखनधरि एकहुटा फिल्म रिलीज नहि भेल अछि।
मैथिली फिल्म उद्योग कतेक पानिमे अछि, ई उपरोक्त तथ्यसँ नीक जकाँ स्पष्ट भ’ जाइत अछि। एहि जरल पर नोन तखन आर छिंटा जाइत अछि जखन हमरा लोकनि ई जनैत छी जे मिथिलाक उक्त सिनेमाघर सभमे भोजपुरी फिल्म चारि-चारि सप्ताह धरि चारू शो हाउसफुल जाइत अछि। शंकर टॉकिज, मध्ुबनीमे ‘निरहुआ रिक्शावाला’ सिल्वर जुबली मनेबाक स्थितिमे छल। मनोज तिवारीक ‘ससुरा बड़ा पैसावाला’ सेहो मिथिलाक विभिन्न भागमे खूबे चलल। तात्पर्य ई जे रानी चटर्जी, रिंकू घोष, रवि किशन, दिनेशलाल यादव निरहुआ, मनोज तिवारी आदि कलाकार भोजपुरी भाषी क्षेत्राक तुलनामे मिथिलामे बेसी लोकप्रिय छथि त’ एकर मूल कारण यैह अछि जे हमरा लोकनिक सिनेमाघर हुनका सभक फिल्म लेल सदिखन अजबारल छनि। से किएक? एकर की कारण? मैथिली भाषा एवं संस्कृतिक प्रति हमरा लोकनिक निष्ठा कहीं अलोपित त’ नहि भ’ रहल अछि? आ कि एकर किछु आन कारण अछि?
वर्ष १९३२ ई.मे भारतक पहिल सवाक् फिल्म ‘आलम आरा’क निर्माणक ३२ वर्ष बाद शुरू भेल मैथिली फिल्मक इतिहास यद्यपि पैंतालीस वर्ष पुरान अछि किन्तु संकोचक संग ई मानहि पड़त जे मैथिली फिल्म उद्योग एखनहुँ धरि शैशवेवस्थामे अछि। ममता गाबय गीत, कन्यादान, भौजी माय आ जय बाबा बैजनाथ सन चारि गोट कसल कथा-पटकथा आ गीत-संगीत वला फिल्मसँ ‘स्टार्ट’ लेबय वला मैथिली फिल्म उद्योग आइधरि जँ अपन पैर पर ठाढ़ नहि भ’ सकल अछि त’ एकर अनेक कारण भ’ सकैछ। एहि आलेखमे हम पाठक लोकनिकेँ मैथिलीमे अद्यावधि बनल फिल्म सभक मादे संक्षेपमे जनतब देबय चाहबनि।
वर्ष १९६४ ई.मे महंथ मदन मोहन दास, उदयभानु सिंह आ केदारनाथ चौधरीक संयुक्त प्रयाससँ मैथिली फिल्मक लेल पहिल बेर ‘लाइट, कैमरा, एक्शन’ शब्द गुँजल छल। ‘नैहर भेल मोर सासुर’ नामसँ शुरू भेल मैथिलीक एहि पहिल फिल्मक नाम बादमे कमल नाथ सिंह ठाकुरक कहला पर ‘ममता गाबय गीत’ राखल गेल। एहि फिल्मक प्रोड्यूसरमेसँ एक उपन्यासकार केदारनाथ चौधरीक अनुसार ‘‘हम १९ सितम्बर, १९६३ ई. केँ कुल सैंतीस हजार टाका ल’ क’ मुम्बइ गेल रही। भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़ैबो’, जे कि बिहारक पहिल फिल्म सेहो प्रमाणित भेल, क निर्माण आ मैथिली फिल्म ‘ममता गाबय गीत’क निर्माण मुम्बइमे लगभग एकहि संग शुरू भेल मुदा रिलीज भेल पहिने ‘गंगा मैया...’। मैथिलियोमे ममता गाबय गीतसँ पहिने ‘कन्यादान’ रिलीज भेल।’’
‘ममता गाबय गीत’ फिल्मक किछु शूटिंग भेले छल कि कतिपय कारणसँ आगाँक काज ठमकि गेल। लगभग चौदह वर्ष धरि फिल्म निर्माण सम्बन्ध्ी सभटा काज ठमकल रहल। दोसर चरणमे काज जहिया शुरू भेल, निज ताहि दिन हिन्दी फिल्मक प्रख्यात् अभिनेत्राी नर्गिस दत्तक देहान्त भ’ गेलनि। एहि कारणसँ श्रद्धांजलि स्वरूप ओहि दिनक शूटिंग स्थगित क’ देल गेल छल। एहि बेर फिल्म निर्माणक बीड़ा उठौने रहथि प्रसिद्ध गीतकार-गायक जोड़ी रवीन्द्र-महेन्द्र आ तत्कालीन आयकर आयुक्त सीताराम झा। सीताराम झा ने सिर्फ एहि फिल्मक लेल आर्थिक मदद केलखिन बल्कि हिन्दी फिल्मक प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक जी.पी. सिप्पीसँ निर्माण सम्बन्ध्ी सहयोग दियेबामे सेहो महत्वपूर्ण भूूमिकाक निर्वाह कएलखिन। हिनका लोकनिक समवेत प्रयाससँ वर्ष १९८१मे ई फिल्म रिलीज भेल। दरभंगाक सोसाइटी सिनेमा हॉलमे ई फिल्म लगभग डेढ़ महीना चलल जखन कि प्रभात टॉकिज, कोलकतामे तीन महीना धरि हाउसफुल रहल। रवीन्द्रनाथ ठाकुरक गीत आ श्याम शर्माक संगीतसँ सजल एहि फिल्मक सभटा गीत खूबे लोकप्रिय भेल। सी. परमानन्द निर्देशित एहि फिल्मक कैमरामैन रहथि सी. प्रसाद, कला निर्देशक रहथि ललित कुमुद आ शूटिंग प्रभारी रहथि विवेकानन्द झा। एहि फिल्मक आउटडोर शूटिंग मुम्बइक मुलुन्ड आ कांदिवलीमे तथा इनडोर शूटिंग प्रसिद्ध अभिनेता राजेन्द्र कुमारक डिम्पल स्टूडियो आ सुनील दत्तक अजन्ता स्टूडियोमे भेल छल। एहि फिल्मक डबिंगमे प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’, सारिका एवं वैदेही ; दुनू रवीन्दनाथ ठाकुरक पुत्राी;क स्वर स्त्राी-पात्राक लेल कएल गेल छल। कलाकार लोकनिमे त्रिदीप कुमार, अजरा, प्यारे मोहन सहाय, प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’, राजेन्द्र झा, शरत चन्द्र मिश्र, आस नारायण मिश्र, प्रभा मिश्र, ललितेश, प्रेम कुमार मिश्र आदिक अभिनय प्रशंसित त’ खूबे भेल मुदा हिनका लोकनिक अभिनय अध्सिंख्य मैथिल नहि देखि सकलाह। एकर एकमात्रा कारण छल प्रिन्टक अभाव। फिल्मक केवल एकटा प्रिन्ट उपलब्ध् छल जे बेराबेरी एक ठामसँ दोसर ठाम उपलब्ध् कराओल जाइत छल। हाँ, गीतक कैसेट अवश्य लोकसभ लग आसानीसँ पहुँचि गेल छल। मुहुर्त्तसँ रिलीज धरि एहि फिल्मके ँ लगभग १४ वर्ष लागि गेलैक। एही अवधिमे फणी मजुमदार निर्देशित ‘कन्यादान’ ममता गाबय गीतसँ पहिने परदा पर उतरबामे बाजी मारि लेलक आ मैथिलीक पहिल प्रदर्शित फिल्मक तगमा पाबि गेल।
प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’क अनुसार सभ कलाकार एक दिन निर्देशक सी. परमानन्दक आवास पर रूकलाह तथा दोसर दिनसँ हिनका लोकनिकेँ एकटा धर्मशालामे ठहराओल गेल। एहि फिल्मक मादे एकटा विशेष बात ई जे शूटिंगक दौरान कलाकार लोकनि आपसमे मैथिलीमे गप करैत छलाह। एतेक धरि जे निर्देशक सेहो मैथिलीमे निर्देश देब’ लागल छलाह। आइ-काल्हि बनयबला मैथिली फिल्म सभक क्रममे शूटिंग स्थल आदि पर मैथिली बजबामे कलाकार लोकिनकेँ संकोच होइत रहैत छनि। ई बात हमरा लोकनि मैथिली नाटकक रिहर्सल आदिक क्रममे सेहो देखि सकैत छी।
हरिमोहन झाक प्रसिद्ध उपन्यास ‘कन्यादान’ पर आधरित कन्यादान फिल्मक पटकथा-संवाद प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ लिखलनि। कलाकार लोकनिमे रहथि तरुण बोस ;रेवती रमण, लता बोस ;बुच्ची दाइ, चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ ;लाल कका, ब्रज किशोर ;झारखंडी नाथ, गीता मुखर्जी आदि। फिल्मक निर्माता रहथि गया निवासी मुंशी प्रसाद। चर्चित कवि गोपालजी झा ‘गोपेश’क सेहो एहि फिल्मक निर्माणमे महत्वपूर्ण योगदान छलनि। तेसर फिल्म ‘भौजी माय’ मूलतः शरतचन्द्र चट्टोपाध्यायक प्रसिद्ध बांग्ला कथा ‘रामेर सुमति’ पर आधरित एही नामसँ बनल बांग्ला फिल्मक डबिंग छल। एकर भाषान्तरण प्रसिद्ध कवि-कथाकार सोमदेव कयने रहथि। निर्देशक रहथि शान्तिलाल सोनी। उपरोक्त तीनू फिल्ममे मैथिलीक साहित्यकार लोकनिक सहयोग स्पष्ट देखाइत अछि किन्तु आम जनताक सहयोग सेहो कम नहि रहल। चारिम फिल्म ‘जय बाबा बैजनाथ’ तक अबैत-अबैत मिथिलामे मैथिली फिल्मक लेल अपेक्षित वातावरणक निर्मिति भ’ गेल छल किन्तु अफसोस जे हमरा लेाकनि एहि वातावरणकेँ दीर्घकाल धरि बनाक’ नहि राखि सकलहुँ। जँ से रहैत त’ एकर बाद बनल ‘मध्ुश्रावणी’, ‘ललका पाग’, ‘अमावस के चान’, ‘हमरा लग रहब’, ‘नाच-गान’ सहित दर्जन भरिसँ बेसी फिल्म आइयो धरि डिब्बामे बन्द नहि रहितय।
उपरोक्त फिल्मक ई नियति किएक भेल से प्रायः सभ फिल्मक अलग-अलग खेड़हा अछि मुदा मुख्य बात मैथिलक आम बेमारी ‘गोलैसी’ अछि जकर शिकार मिथिलाक प्रायः अन्य सभ विध सेहो होइत रहल अछि। मैथिलीमे ने त’ कथा-पटकथाक अभाव अछि आ ने-गीतकार-संगीतकारक। मिथिलाक एकटा गायक उदितनारयण झा एखन देशक सर्वश्रेष्ठ गायक बनल छथि त’ निर्देशकक रूपमे प्रकाश झा, संजय झा, मनीष झाक लोहा सकल संसार मानि रहल अछि। ई बात त’ अन्यो भाषा-भाषी गछैत छथि जे कलाकारक मामिलामे मिथिलासँ बेसी सम्पन्न क्षेत्र आन नहि अछि। लोकेशनक मामिलामे सेहो मिथिला अन्य कोनो भूखंडसँ दरिद्र नहि अछि। प्राकृतिक सुषमाक मामिला हो अथवा बाढ़ि-सुखाड़क दृश्य, मिथिलामे बारहोमास उपलब्ध् भेटत। हाँ, अबरजातक लेल रस्ता-बाट पर अवश्य प्रश्न उठाओल जा सकैत अछि।
अभिप्रायः ई जे हमरा लोकनि मैथिली फिल्म उद्योगकेँ अद्यावध् िस्थापित क’ सकैत रही किन्तु अपन अहंमन्यता आ टंगघिच्चा-घिच्चीमे बिचहिमे लसकि गेल छी।
यद्यपि उपरोक्त सभ स्थिति-परिस्थितिक अछैत वर्ष १९९९ अनेक तरहेँ मीलक पाथर साबित भेल। बीसम शताब्दी जाइत-जाइत व्यवसायिक रूपसँ एकटा एहन सफलतम मैथिली फिल्म द’ गेल जे सभटा मिथ्या धरणा-अवधरणाकेँ स्वाहा करैत लैम्प-पोस्ट बनि गेल। मुरलीधर निर्देशित बालकृष्ण झाक मामूली बजटक फिल्म ‘सस्ता जिनगी महग सेनूर’ लोकप्रियताक सभ रिकॉर्ड ध्वस्त क’ देलक। ललितेश, रीना, रूबी अरुण अभिनीत ई फिल्म चारि करोड़सँ बेसी रुपया कमौलक। यद्यपि एहि सफलताकेँ सेहो हमरा लोकनि आगाँ भजा नहि सकलहुँ तथापि २००० ई.मे प्रदर्शित फिल्म ‘आउ पिया हमर नगरी’ घाटामे नहि रहल। कहल जाइत अछि जे एकर निर्देशक रहथि मुरलीधर मुदा बादमे एकर निर्माता मणिकान्त मिश्र निर्देशकक रूपमे अपन नाम जोड़ि लेलनि। उक्त दुनू फिल्मक शूटिंग मिथिलेमे भेल छल आ परदा पर भव्यतामे कोनहु कोनसँ कम नहि बुझना गेल।
२००१मे दू टा वीडियो फिल्म बनल आ व्यवसायिक दृष्टिकोणसँ दुनू असफल रहल। गोपाल पाठक निर्देशित ‘ममता’ जतय रमेश रंजन, प्रवेश मल्लिक, संजीव आदिक अभिनयक बलेँ कहुना एक सप्ताह धरि चलि सकल ओतहि राजीव गौतम निर्देशित ‘सपना भेल सोहाग’ एतबो दिन नहि खेप सकल। वीडियो फिल्म निर्माण यद्यपि अन्य माध्यमक अपेक्षा सस्ता छैक किन्तु मिथिलामे वीडियो हॉलक अनुपलब्ध्ता आ एहि तरहक फिल्मक लेल अपेक्षित मानसक अभाव छैक। उक्त दुनू वीडियो फिल्मक असफलताक एकटा कारण एकर कमजोर फिल्मांकन आ प्रचार-प्रसारमे अभाव सेहो छल।
वर्ष २००४मे निर्माता बालकृष्ण झा अपन दोसर फिल्म ‘सेनूरक लाज’ ल’ क’ अपन पहिल फिल्म ‘सस्ता जिनगी महग सेनूर’क सफलताकेँ दोहराब’ चाहलनि किन्तु ई राजकमल चौधरीक चर्चित कथा ‘ललका पाग’क पैरोडी संस्करण प्रमाणित भ’ क’ रहि गेल। निर्देशक विनीत यादव एहि फिल्मकेँ कोनो कोनसँ नहि सम्हारि सकलाह। समुचित प्रकाशक अभावसँ फिल्म बहुत साफ नहि देखाइत अछि। महिला दर्शककेँ रिझेबामे यद्यपि ई फिल्म सफल रहल किन्तु अपन घाटाकेँ नहि पाटि सकल।
२००५मे आयल ‘कखन हरब दुख मोर’क प्रचार-प्रसारमे कमी नहि कएल गेल किन्तु सिनेमा घरक टिकट खिड़की पर भीड़ नहि जुटि सकल। निर्माता संजय राय आ निर्देशक संतोष बादलकेँ बादमे टी. सीरीजक सहयोगसँ बजारमे एहि फिल्मक सीडी उतार’ पड़लनि जकर रिकार्ड-तोड़ बिक्री भेल। एही वर्ष निर्देशक अभिजीत सिंहक ‘दुलरूआ बाबू’ सेहो प्रदर्शित भेल किन्तु कमजोर पटकथाक कारणे असफल भ’ गेल।
वर्ष २००६मे फेर दू टा वीडियो फिल्म बनल आ दुनू मुहें भरे खसल। मनोज झा निर्देशित ‘गरीबक बेटी’ (गरीबक बेटी वीडियो फिल्म नै वरन पहिल मैथिली डिजिटल फिल्म थिक, ई बादक सूचना ऐ आलेखमे हमरा द्वारा जोड़ल गेल) आ गोपाल पाठक निर्देशित ‘अहाँ छी हमरा लेल’ सफलताक कोनो नव अध्याय नहि लिखि सकल। कहि सकैत छी जे असफलता आइधरि मैथिली फिल्मक सफलताकेँ गछारने अछि। हाँ, ‘गरीबक बेटी’मे अनिल मिश्राक अभिनय प्रभावकारी छल।
२००७मे सुहागिनक निर्माण आरम्भ भेल जकरा मादे हम पहिनहि कहि चुकल छी जे ई फिल्म एक सालक निर्माण-यात्राक बाद नवम्बर २००८मे सिनेमाहॉलसँ किछुए दिनमे उतरि गेल।
वर्ष २००८मे निर्माणाध्ीन फिल्मक श्रेणीमे चारि टा फिल्म छल जाहिमे एक चुटकी सिन्दूर, काजर, किसलय कृष्णक निर्देशनमे (बादमे हिनका हटा कऽ मनोज झाकेँ निर्देशक बनाओल गेल, ई बादक सूचना ऐ आलेखमे हमरा द्वारा जोड़ल गेल) बनय जा रहल ‘हम्मर अप्पन गाम अप्पन लोक’ आ सूरज तिवारी निर्देशित ‘पिया संग प्रीत कोना हम करबै’ शामिल अछि। जनतबक अनुसार, अजित कुमार आजादक पटकथा पर बनय जा रहल ‘हमर अप्पन गाम अप्पन लोक’ वर्ष २००९मे इन्द्रपूजाक अवसर पर रिलीज कएल जायत जखन कि प्रोड्यूसर जितेन्द्र झाक ‘पिया संग प्रीत कोना हम करबै’ दुर्गापूजामे। एखन धरि त’ कोनो एक वर्षमे चारिटा मैथिली फिल्म एक संगे नहिये रिलीज भेल अछि। ओना, पहिनेक तुलनामे स्थिति बदललैक अछि। देखा-चाही जे एहि बदलल स्थितिक लाभ फिल्म निर्माणसँ जुड़ल लोकसभ कोन तरहेँ उठा पबैत छथि। मिथिलाक दर्शक आब मैथिलीमे नीक फिल्म देखय चाहैत छथि तकर अनुमान कैसेट-सीडीक बिक्रीसँ त’ लगाओले जा सकैत अछि।
(अजित आजादक लेख- मिथिला दर्शन, कोलकातासँ साभार)
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